हक भी देते इस तरह कि दान जैसा ही लगे
बँट रहे सम्मान जो अपमान जैसा ही लगे
सोच में इक दूसरे के भेद होना लाजिमी
जो उसे दुश्मन कहे नादान जैसा ही लगे
कोशिशें पुरजोर करके जो बनाते आशियां
अपने घर में आज वो मेहमान जैसा ही लगे
कंस-रावण-रक्तबीजों से लड़ाई अब कठिन
देख उनके रूप जो इन्सान जैसा ही लगे
डोर को भी साँप कहकर पीटते लाठी सुमन
इस तरह से कुछ भरम भी ज्ञान जैसा ही लगे
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