Saturday, April 2, 2022

अपमान जैसा ही लगे

हक  भी  देते  इस  तरह कि दान जैसा ही लगे
बँट  रहे  सम्मान  जो  अपमान  जैसा  ही  लगे

सोच  में  इक  दूसरे   के  भेद  होना  लाजिमी
जो  उसे  दुश्मन  कहे   नादान  जैसा  ही  लगे

कोशिशें  पुरजोर  करके  जो  बनाते  आशियां
अपने  घर  में  आज  वो मेहमान जैसा ही लगे

कंस-रावण-रक्तबीजों  से  लड़ाई  अब  कठिन
देख  उनके  रूप  जो  इन्सान  जैसा  ही  लगे

डोर  को  भी साँप कहकर पीटते लाठी सुमन
इस तरह से कुछ भरम भी ज्ञान जैसा ही लगे

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