गाँव, शहर, निर्जन में डर है
कारण सबके मन में डर है
खटपट जब होती रिश्तों में
तब तो घर आँगन में डर है
जब भविष्य न दिखे सुरक्षित
पसरे तब जन जन में डर है
जो सवाल करते अब उनको
नेक सोच, चिन्तन में डर है
जनता सिर्फ सियासी प्यादे
जिसको राह चयन में डर है
सोच समझ में जब अंधियारा
ज्ञान - दीप, रौशन में डर है
सुमन जीत है डर के आगे
तोड़, अगर यौवन में डर है

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