Saturday, April 2, 2022

क्या तुमको मालूम नहीं?

इस दुनिया की एक हकीकत, क्या तुमको मालूम नहीं?
रोटी  सबकी, सदा  जरूरत, क्या  तुमको मालूम नहीं?

क्या  संभव जो  भूखा  रहकर, कोई  भजन सुनाएगा?
जन पे क्यों आफत आफत, क्या  तुमको मालूम नहीं?

जो  स्वारथवश  तुझसे  जुड़कर , तेरा ही गुणगान करे
ये  तो इक शबनमी मुहब्बत, क्या तुमको मालूम नहीं?

बच्चे  के  रोने  पे  अक्सर, उसको  भोजन  मिलता  है 
क्या बेबस की चीख बगावत, क्या तुमको मालूम नहीं?

जनता  खातिर  अच्छे  शासक, लड़ते  भूख-गरीबी से
शेष बची क्या तुझमें  ताकत, क्या तुमको मालूम नहीं?

जिसने  छोड़ा  अहंकार  को, टिक  सकता  ऊँचाई पर
वरना  रहता  कौन  सलामत, क्या तुमको  मालूम नहीं?

सहने  की  सीमा  के  आगे, प्रजा, नागरिक  बने सुमन
तब  होती  है विवश  हुकूमत, क्या तुमको मालूम नहीं?

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