तुम सोने की बातें करते, हम करते जगने की बात
किसे मिला सोने से सोना, ये सच है पढ़ने की बात
हाल भले विपरीत जगत में, जो संघर्ष करे फिर भी
वो सिखलाए बन के सिकन्दर, नयी राह चलने की बात
मौसम का हर त्योहारों से, कुछ न कुछ तो नाता है
इससे तो विज्ञान जुड़ा है, कथा सिर्फ कहने की बात
एक तरह का जीवन - यापन, तो नीरसता मुमकिन है
हम सब होते सरस पर्व से, फिर आगे बढ़ने की बात
रौशन घर - घर अगर सुमन तो, फिर दुनिया रंगीन लगे
आजीवन है दीप जलाना, नहीं करो थकने की बात

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