सुख, दुख जीवन में तो, आते हैं, जाते हैं
तुम घायल करते हो, हम दिल सहलाते हैं
कपड़े, मजहब जो भी, है एक लहू सबका
तुम जिन्हें सताते हो, हम उन्हें बचाते हैं
अवसर, इज्जत सबको पाने का हक होता
तुम छीन रहे हक जो, हम वही दिलाते हैं
हालात बने बेहतर, हो जज्बा हर दिल में
तुम दीप बुझाते हो, हम दीप जलाते हैं
जीवन विचार से ही, नित आगे बढ़े सुमन
तुम जिन्हें गिराते हो, हम उन्हें उठाते हैं
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