तू बन्दूक उठा ले प्यारे, मैं शब्दों से वार करूँ
तेरा वश हो तन पे शायद, मन पे मैं अधिकार करूँ
सिसक रही हो जहाँ जिन्दगी, मौत सजी हो थालों में
या तो जीने खातिर लड़ना, या फिर मौत से प्यार करूँ
रोजी - रोटी छिन जाने पर, हथियारों से डर नहीं लगे
सिसक सिसक जीने से अच्छा, आन्दोलन विस्तार करूँ
जन में वैचारिक अंधापन, बढ़ा रहे वो साजिश से
यही जहर है लोकतंत्र का, इस पे चलो प्रहार करूँ
मर मर के जीने से अच्छा, होश में जी के मर जाना
अभी सामने हाल सुमन जो, क्यों न उसे सुधार करूँ
4 comments:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 02 अप्रैल 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 03 अप्रैल 2022 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत सुंदर प्रस्तुति
वाह ! बहुत खूब !
...सामने है जो, पहले उसे सुधार करूं ...
इस भावना के साथ ही नव संवत्सर का स्वागत हो.
शुभ हो संवत्सर.
नमस्ते.
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