Saturday, April 2, 2022

जहाँ प्यार की ऊसर धरती

अंधकार  बाहर  से  ज्यादा,  जब  भीतर  में  पाया  है।
मेरे  दिल  में  अक्सर  तू  ने, प्रेम  का  दीप  जलाया है।।

रोज  मिटाना  अंधकार  को, है  कोशिश  अपनी जारी।
रोज समर्पित  इसी  भाव  से, गीत गजल कविता सारी।
जहाँ  प्यार  की  ऊसर  धरती, तू  ने  प्रीत  सिखाया है।
मेरे दिल में अक्सर -----

इस  दुनिया  को  देख  गौर से, लगती कितनी प्यारी है?
अहंकार, स्वारथ  में  फिर  क्यों, जारी  आज लड़ाई है?
ये  दुनिया  जो  आज  सामने,  प्रेम  ने  उसे  बचाया है।
मेरे दिल में अक्सर -----

सोचो  प्यार बिना इस  जग में, कैसे नया सृजन होगा?
नहीं आपसी  प्यार की खुशबू, न तो नया सुमन होगा।
आदिकाल से ऋषि मुनियों ने, प्रेम का पाठ पढ़ाया है।
मेरे दिल में अक्सर -----

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