बाँट रहे जो ज्ञान हमेशा
वो बदले परिधान हमेशा
झूठ यही, वो कहते उनको
जन सेवा का ध्यान हमेशा
पास टिके वो हर ज्ञानी का
कुचल रहे सम्मान हमेशा
सभी विधा के ज्ञानी बनकर
बस दिखलाते शान हमेशा
उन पे बोझ काम का इतना
उड़ते रहते यान हमेशा
रंगमंच से कहते जन पर
लुटा रहे वो जान हमेशा
बात सुमन की सुन लो प्यारे
जन जन का हो मान हमेशा

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