हमने तुमको वोट दिया है
तुमने सिर्फ कचोट दिया है
आपस में लड़वाने खातिर
मजहब का लंगोट दिया है
देश चले क्या बस ताकत से
और नहीं केवल दौलत से
इक दूजे का आदर करना
देश बढ़ेगा बस उल्फत से
घर घर अभी अकेलापन है
रिश्तों में कम अपनापन है
युवा वर्ग में नित विचार का
भरा जा रहा अंधापन है
अपने को सब सच्चा कहते
पिछड़ गए तो कच्चा कहते
कुछ बुजुर्ग की बातें सुनकर
लगा, उन्हें हम बच्चा कहते
जागो! मोहन प्यारे जागो
दुख में लोग पुकारे, जागो
सुमन जगाओ नित्य चेतना
हर पल, साँझ सकारे जागो
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