Friday, April 1, 2022

हर चुनाव ने जिसे बिगाड़ा

कितना प्यारा गांव हमारा, तुम समझो या न समझो
हर चुनाव ने जिसे बिगाड़ा, तुम समझो या न समझो

आज साथ में इक प्रत्याशी, कल दूजे के साथ दिखे
रुपया, मदिरा का बंटवारा, तुम समझो या न समझो

मिले सामने जो प्रत्याशी, उसकी जय जयकार शुरू
चुनना मुश्किल कौन सहारा, तुम समझो या न समझो

पहले बहुत छला प्रत्याशी, अब जनता भी छलती है
जिसका खाया वही किनारा, तुम समझो या न समझो

बाहुबली के अपने ढंग हैं, धन-बल का उपयोग अलग
सच्चाई को सुमन पछाड़ा, तुम समझो या न समझो

No comments:

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!