कितना प्यारा गांव हमारा, तुम समझो या न समझो
हर चुनाव ने जिसे बिगाड़ा, तुम समझो या न समझो
आज साथ में इक प्रत्याशी, कल दूजे के साथ दिखे
रुपया, मदिरा का बंटवारा, तुम समझो या न समझो
मिले सामने जो प्रत्याशी, उसकी जय जयकार शुरू
चुनना मुश्किल कौन सहारा, तुम समझो या न समझो
पहले बहुत छला प्रत्याशी, अब जनता भी छलती है
जिसका खाया वही किनारा, तुम समझो या न समझो
बाहुबली के अपने ढंग हैं, धन-बल का उपयोग अलग
सच्चाई को सुमन पछाड़ा, तुम समझो या न समझो
No comments:
Post a Comment