Sunday, August 21, 2022

तब कान्हा तुम आते हो

सूरज, बादल में छुप जाता, तब कान्हा तुम आते हो
राज कंस का जब जब आता, तब कान्हा तुम आते हो 

बहुत विवश होकर ही जनता, राजा का प्रतिकार करे
रौद्र रूप शासन दिखलाता, तब कान्हा तुम आते हो

आमजनों की मेहनत से ही, देश कोई खुशहाल रहे
मेहनतकश पे संकट छाता, तब कान्हा तुम आते हो

अहंकार में डूब के राजा, जब खुद को भगवान कहे
लोगों का हक छीन के खाता, तब कान्हा तुम आते हो

तारणहार तुझे कहते सब, लोक चेतना जगा सखे
दिल से तुझको सुमन बुलाता, तब कान्हा तुम आते हो 

No comments:

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!