दिल में हरदम इक डर होता
जब शासक बाजीगर होता
खुद कहते वो मीत सभी के
मगर सोच से बर्बर होता
कहाँ घोषणा, क्या कर जाए
ये सनकीपन अक्सर होता
खुद की भूल छुपाते ऐसे
अक्सर, जैसे कायर होता
प्रगतिशीलता में बाधक यूँ
भाव - हीन ज्यों पत्थर होता
दिन आते फिर परिवर्तन के
घर घर में जिसका स्वर होता
जाना जिसने, वक्त, वक्त पर
सुमन सही में शायर होता
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