Monday, April 24, 2023

साधो! बुलडोजर से न्याय

साधो! बुलडोजर से न्याय।
जिसकी  महिमा बाँच बाँचकर, शासक नहीं अघाय।।
साधो! बुलडोजर -----

निशि-दिन उलझन आमजनों की, खोजे रोटी-पानी।
मतलब  इससे  क्या  साहिब को, चला रहे मनमानी।
पर  विज्ञापन  में  शासक  के,  अधर  खूब  मुस्काय।।
साधो! बुलडोजर -----

बिना  काम  के  नौजवान सब, इधर उधर बस घूमें।
राह  गलत  पकड़े  अक्सर या, मौत का दामन चूमें।
शासक-डर  से  समाचार  भी, महिमा-गान  सुनाय।।
साधो! बुलडोजर -----

मानव  हो  तो  कर्तव्यों  से, नहीं  और  तुम  भागो।
देख, नाक  तक  आया  पानी, अब तो प्यारे जागो।
समाधान  बस लोक-जागरण, कहे सुमन समुझाय।।
साधो! बुलडोजर -----

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