साधो! बुलडोजर से न्याय।
जिसकी महिमा बाँच बाँचकर, शासक नहीं अघाय।।
साधो! बुलडोजर -----
निशि-दिन उलझन आमजनों की, खोजे रोटी-पानी।
मतलब इससे क्या साहिब को, चला रहे मनमानी।
पर विज्ञापन में शासक के, अधर खूब मुस्काय।।
साधो! बुलडोजर -----
बिना काम के नौजवान सब, इधर उधर बस घूमें।
राह गलत पकड़े अक्सर या, मौत का दामन चूमें।
शासक-डर से समाचार भी, महिमा-गान सुनाय।।
साधो! बुलडोजर -----
मानव हो तो कर्तव्यों से, नहीं और तुम भागो।
देख, नाक तक आया पानी, अब तो प्यारे जागो।
समाधान बस लोक-जागरण, कहे सुमन समुझाय।।
साधो! बुलडोजर -----
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