क्या कहूँ अपने से अपने ही बारे में? इस प्रतियोगी युग में जीने के लिए लगातार कार्यरत एक जीवित-यंत्र, जिसे सामान्य भाषा में आदमी कहा जाता है और जो इसी आपाधापी से कुछ वक्त चुराकर अपने भोगे हुए यथार्थ की अनुभूतियों को समेट, शब्द-ब्रह्म की उपासना में विनम्रता से तल्लीन है - बस इतना ही। शिक्षा - एम० ए० (अर्थशास्त्र)
तकनीकी शिक्षा -
विद्युत अभियंत्रण मे डिप्लोमा
सम्प्रति - प्रशासनिक पदाधिकारी टाटा स्टील, जमशेदपुर रुचि के विषय : नैतिक-मानवीय मूल्य एवं सम्वेदना
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