ये कहते बस अपने मन की
देश जोड़ता वो फकीर - सा
फिक्र इन्हें क्या है निर्धन की
हर मुद्दे पर बात करे वो
ये नफरत के मैराथन की
वो माँगे धरती पर सुविधा
इनकी बातें गगन - सपन की
पूछ रहा वो इनसे खुलकर
क्या हालत है कालेधन की
हर मजहब से प्रीत करे वो
इनको एक धरम - बन्धन की
वो दीपक सा जले सुमन पर
ये मिसाल हैं सिर्फ जलन की
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