Saturday, December 9, 2023

शिक्षा का फैलाव मुसाफिर

भले धूप या छाँव मुसाफिर 
नहीं  रुके ये पाँव मुसाफिर 
अवसर पे सब अपने अपने 
खेल  रहे  हैं दाँव  मुसाफिर 

               हर दिन सुबहो शाम मुसाफिर 
               नहीं  तुझे  आराम   मुसाफिर 
               हैं   सैलाब   यहाँ   नफरत  के
               लोग  जोड़ना  काम मुसाफिर 

सुविधा घोर अभाव मुसाफिर 
सुनता कौन सझाव मुसाफिर 
तब सुधार जब घर - घर में हो
शिक्षा  का  फैलाव  मुसाफिर 

               पैसे   बिना    इलाज   मुसाफिर 
               कितना मुश्किल आज मुसाफिर 
               आफत  में   निर्धन   का  जीवन 
               बन  उनकी  आवाज   मुसाफिर 

कुछ  ऐसे  सुल्तान  मुसाफिर 
बस दिखलाते शान मुसाफिर 
बेपरवाह    रहे   जनमत   से 
लोग-बाग हलकान मुसाफिर 

               बनो  सभी  के  मीत मुसाफिर 
               लिख जनता के गीत मुसाफिर 
               सबकी  हो   आवाज  एक  तो 
               मिल  सकती है जीत मुसाफिर 

जो भी हो परिणाम मुसाफिर 
कर तू अपना काम मुसाफिर 
खुशबू के सँग सदा सुमन तू 
बढ़े चलो अविराम मुसाफिर 

1 comment:

Shalini Khanna said...

सुंदर रचना..

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