सभी धर्म के अनुरागी हम
धार्मिक हैं या ढोंग रचाते
अपने कर्मों के भागी हम
किसी धर्म की करें बुराई
तो समाज के हैं दागी हम
कई उचक्के संत - वेष में
कहते जग को वैरागी हम
नीति गलत जो धर्म नाम पे
चुप रहते तो सहभागी हम
बचा सकें मानव-मूल्यों को
तो समझेंगे बड़भागी हम
सदा प्रेम से बढ़ती दुनिया
राग - सुमन के हैं रागी हम
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