Wednesday, September 4, 2019

कोशिश रहे सिलाई करना

खुद  की  नहीं दुहाई करना 
मन की  रोज सफाई करना 

फटे हुए कपड़ों को सी कर 
तकिया  और  रजाई करना 

सोच रुग्ण हो या शरीर तो 
क्या है उचित दवाई करना 
तुझे  शून्य जो  माने उसके
दायीं   बैठ   दहाई   करना 

लगे दरकने रिश्ते जब जब
कोशिश रहे सिलाई करना 

प्रेम  परस्पर  ही  जीवन है 
काहे   रोज  लड़ाई  करना 

लड़े  झूठ से उसी सत्य को
दे कर  सुमन विदाई करना 

1 comment:

Nitish Tiwary said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति। आपका प्रोफ़ाइल देखकर खुशी हुई कि आप इतना अच्छा लिखते हैं और झारखंड से हैं। मैं भी वहीं से हूँ। एक बार मेरे ब्लॉग पर जरूर पधारें।
iwillrocknow.com

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